ब्रिटेन में हिन्दू-मुस्लिम तनाव के मायने

ब्रिटेन: महारानी विदा ब्रितानी लोकतंत्र की नई चुनौतियां
November 17, 2022
रूस-यूक्रेन युद्ध और यूरोप का भविष्य
November 17, 2022

अनुरंजन झा, लंदन

पूरा ब्रिटेन जब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार की तैयारी में लगा था तब ब्रिटेन के कुछ शहरों में तनाव सुलग रहा था। हैं। इस तनाव का नतीजा महारानी की अंतिम यात्रा के दो दिन पहले से साफ दिखने लगा, इंग्लैंड के पूर्वी मिडलैंड्स में स्थित लेस्टर शहर में पहले हिन्दुओँ और मुसलमानों के बीच झड़प हुई, झड़प के पीछे तात्कालिक कारण भारत पाकिस्तान क्रिकेट मैच में भारत की जीत का जश्न था। झड़प के खिलाफ प्रदर्शन हुए और फिर हिंसा भड़क गई। लेस्टर पुलिस के मुताबिक करीब 200 लोग शहर के ग्रीन लेन इलाके में सड़क पर मार्च करने के लिए उतरे जिसके बाद हिंसा भड़की, गाड़ियां तोड़ी गईं और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। दोनों पक्ष एक दूसरे पर हमला कर रहे थे और जिसे रोकने में तकरीबन डेढ़ दर्जन पुलिसवाले घायल हुए। अब तक 47 लोगों को हिरासत में लिया गया है। साथ ही 21 साल के युवक युसूफ को चाकू के साथ गिरफ्तार किया गया और उसे चाकू रखने के आरोप में एक साल की जेल की सज़ा भी हो गई है। यूसुफ़ ने स्वीकार किया कि वो सोशल मीडिया से प्रभावित होकर चाकू लेकर प्रदर्शन में शामिल हुआ था। इतना ही नहीं लेस्टर पुलिस ने सोशल मीडिया से प्रभावित एक और प्रदर्शनकारी को जेल भेज दिया है।

 

लेस्टर ब्रिटेन के उन शहरों में है जहां सबसे ज्यादा संख्या में गैर-ब्रिटिश आबादी रहती है। लगभग 37 फ़ीसदी लोग दक्षिण एशियाई मूल के हैं और इनमें से ज़्यादातर भारतीय मूल के हैं। पिछले पचास सालों से ज्यादा वक्त से यहां सभी समुदाय के लोग काफी सौहार्द से रहते आए हैं, इस घटना के बाद यहां के भारतीय और पाकिस्तानी मूल के व्यवसायी चिंतित हैं। इस इलाके के सांसद के लिए भी यह घटना सदमे से कम नहीं है। लेस्टर दक्षिण के सांसद जोनाथन ऐशवर्थ ने कहा कि लेस्टर में रहने वाले ज़्यादातर लोग पूरी तरह एकजुट हैं और मिल-जुलकर रहते हैं। यहां जो छिटपुट घटनाएं हुई हैं उनसे यहां के दो बड़े समुदाय प्रभावित हुए हैं, हम इससे हिल गए हैं। भारतीय उच्चायोग ने सोमवार को जारी बयान में कहा, ‘हम लेस्टर में भारतीय समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा और हिंदू धार्मिक परिसरों और प्रतीकों की तोड़फोड़ की कड़ी निंदा करते हैं’। ओवरसीज फ्रैड्स ऑफ बीजेपी के महासचिव सुरेश मंगलगिरी ने बयान जारी कर सद्भाव की अपील की और घटनाओं की निंदा की लेकिन बात यहीं नहीं रुकी, महारानी की अंतिम यात्रा के दिन बर्मिंघम से सटे एक छोटे से शहर स्मिथविक में एक मंदिर के बाहर मुस्लिम समुदाय ने प्रदर्शन की योजना बनाई और उसे भी व्हाट्सअप और सोशल मीडिया पर प्रचारित कर दिया। शहर के हिन्दुओँ ने पुलिस को सूचना दी और उस प्रदर्शन का विरोध किया लेकिन सैकड़ों की तादाद में मुस्लिम युवक मंदिर के बाहर जमा हुए, हंगामा किया, मंदिर की दीवारों पर चढ़े, हाथापाई की अल्लाह हो अकबर के नारे लगाए और उसके वीडियोज वायरल हो गए। इस पूरे मामले में पुलिस ने तत्परता दिखाई, लोगों को रोकने की कोशिश की और कई सारे लोगों को हिरासत में भी लिया गया।

 

तो क्या ये माना जाए कि ब्रिटेन के जिन शहरों में अचानक दो समुदायों के बीच झड़प हुई वो महज एक छोटी सी प्रतिक्रिया थी या फिर कुछ अंदर ही अंदर ही पक रहा है। जिन दो शहरों में ये घटनाएं घटी हैं उनमें से एक शहर लेस्टर में प्रवासियों में सबसे ज्यादा भारतीय मूल के हिन्दुओँ की आबादी है और दूसरे शहर स्मिथविक में जो घटना घटी है उससे सटे बर्मिंघम में सबसे ज्यादा मुसलमान प्रवासी की तादाद है। अधिकारियों ने अपने बयानों में ये साफ साफ कहा है कि दोनों शहरों में दूसरे शहरों से आए लोगों ने मामले को शांत करने की बजाए उसे हवा देने का काम किया है। महारानी के निधन के बाद शोक में डूबे ब्रिटेन में एक तरह से सब कुछ स्थिर हो गया था। लोगबाग एक जगह से दूसरी जगह सफर करने से भी परहेज कर रहे थे वैसे में ऐसे तत्वों को मौका मिला और उन्होंने अपने अपने समुदाय के लोगों को निश्चित तौर पर भड़काने का काम किया है। निश्चित तौर पर इस तनाव की जड़ में एशिया के दो मुल्कों से आए वो प्रवासी हैं जो पिछले कुछ समय से ब्रिटेन में अपने अपने देशों से तनाव और आक्रामकता लेकर आ रहे हैं।

 

लेकिन इन सबके साथ साथ कुछ और चीजों पर बारीक नजर रखने की जरूरत है। पूरी दुनिया में इस तरह की घटनाओं के लिए सोशल मीडिया और व्हाट्सअप जैसे प्लेटफार्म फेक न्यूज फैलाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जा रहे हैं, जो सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने में सबसे ज्यादा कारगर हो रहे हैं। पूर्वी लेस्टर सीट से सांसद क्लॉडिया वेबी, चीफ कॉन्सटेबल रॉब निक्सन समेत लेस्टर के मेयर सर पीटर सोल्सबी ने भी साफ साफ कहा है कि शहर में तनाव भड़काने में जिस एक चीज की भूमिका सबसे ज्यादा खतरनाक रही है, वो है सोशल मीडिया। ट्विटर पर घूम रहे वीडियो इस हिंसक माहौल के लिए गंभीर रूप से जिम्मेदार हैं। जैसे एक वीडियो में एक व्यक्ति को मंदिर पर चढ़कर झंडा नीचे गिराते हुए देखा जा सकता है। अगर ये वीडियो प्रचारित नहीं होता तो लोगों में शायद इतनी प्रतिक्रिया नहीं होती। फिर जब इन घटनाओँ की और तह में जाते हैं और यहां रह रहे भारतीय मूल के लोगों से बात करते हैं तो कुछ चीजें साफ साफ नजर आती हैं जिनमें एक बात पर सभी जोर देते हैं चाहे वो लंदन सदक के मेयर सुनील चोपड़ा हों या फिर बकिंघमशर के काउंसलर शरद झा, सभी का स्पष्ट मानना है कि पिछले एक दशक में भारत की हो रही प्रगति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों के लिए चुनौतियां बन रही हैं। पिछले कुछ समय से अपने आंतरिक मामलों में भारत ने जिस तरह से दुनिया के दूसरे देशों को हस्तक्षेप करने से साफ साफ मना किया है इससे भी दुनिया का एक धड़ा भारत से चिंतित दिखने लगा है। और इसी का परिणाम है कि ब्रिटेन जैसे देश में जहां भारतीय सद्भाव और सुरक्षा से रहते आए हैं वहां भी उनके खिलाफ मोर्चे खोले जा रहे हैं। मतलब साफ है कि ब्रिटेन में हो रहा हिन्दू मुसलमान का झगड़ा दरअसल सिर्फ दो समुदायों के बीच की लड़ाई नहीं है, इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय ताकते हैं जो भारत और पाकिस्तान के विवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बरकरार रखने की कोशिशों में जुटी हुई हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों को ब्रिटेन से आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं। इन सालों में इन दोनों देशों की कई पीढ़ियां ब्रिटेन में गुजर चुकी हैं। इन दोनों मुल्कों से आए लोग यहां के व्यापार और राजनीति में अपना मकाम बना चुके हैं लेकिन ऐसी घटनाएं पिछले कुछ सालों से ही देखने में आ रही हैं। खासकर तब से जब से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि एक अंतरराष्ट्रीय मजबूत नेता के तौर पर उभरी है। जाहिर है भारत की प्रगति और नरेंद्र मोदी की मजबूती पाकिस्तान और दूसरे पड़ोसी मुल्कों के सियासतदानों को रास नहीं आ रहा है। इसलिए इन घटनाओं को एक बड़े अंतरराष्ट्रीय स्तर की साजिश की कसौटी पर कसने और उसका आकलन करने की जरूरत है। निश्चित तौर पर ये महज दो समुदायों की झड़प तक का मामला नहीं है।

(लेखक इन दिनों यूरोप में रहकर भारत-यूरोप संबंधों पर शोधरत हैं)

प्रभात खबर से साभार

प्रभात खबर 

Leave a Reply

Your email address will not be published.