ब्रिटेन में बड़े बदलाव की आहट

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अनुरंजन झा, इंग्लैंड से

 

अभी हाल ही में विश्वास मत हासिल कर अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पर एक बार फिर संकट गहरा गया है। उनके दो खास और महत्वपूर्ण मंत्रियों ने अचानक मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। जिन दो मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है उन दोनों ने पार्टीगेट मामले में अपनी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दलों का दबाव झेल रहे बोरिस जॉनसन का साथ दिया था। या यूं कहें कि एक मजबूत दीवार की तरह खड़े थे और उसका परिणाम हुआ कि अपनी ही पार्टी द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बोरिस जॉनसन को जीत हासिल हुई थी। इस्तीफा देने वाले मंत्रियों में भारतीय मूल के वित्त मंत्री ऋषि सुनक और पाकिस्तानी मूल के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद शामिल हैँ। ब्रिटेन में प्रधानमंत्री के बाद सबसे अहम पद वित्त मंत्री का होता है जिसे चांसलर या चांसलर ऑफ एक्सचेकर कहा जाता है। उस पद पर पहुंचने वाले ऋषि सुनक भारतीय मूल के पहले व्यक्ति हैं। ऋषि सुनक इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति के दामाद हैं। ऋषि महज 35 साल की उम्र में 2015 में पहली बार कंजरवेटिव पार्टी के सांसद के तौर पर संसद पहुंचे और तभी से ब्रिटेन की आर्थिक नीतियों में उनकी हिस्सेदारी देखी गई है। 2018 में ऋषि सुनक थेरेसा मे की सरकार में बतौर मंत्री शामिल हुए। 2019 में उन्हें ट्रेजरी का चीफ सेक्रेटरी बनाया गया। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के चुनाव प्रचार में भी ऋषि सुनक ने बड़ी भूमिका निभाई थी। सुनक एक शानदार वक्ता हैं लिहाजा कई अवसर पर चुनाव प्रचार के दौरान टीवी डिबेट में सुनक ने जॉनसन की जगह हिस्सा लिया। कंजरवेटिव पार्टी ने अक्सर मीडिया इंटरव्यू के लिए उन्हें आगे किया ब्रेग्जिट के कुछ हफ्तों बाद ही जब ब्रिटेन के वित्त मंत्री साजिद जावीद ने इस्तीफा दिया तो उसके बाद इस युवा सांसद को वित्त मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बाद में साजिद जाविद स्वास्थ्य मंत्री बने। जब ऋषि चांलसर यानी वित्त मंत्री बने थे तब कोविड 19 फैल रहा था लेकिन महामारी का रुप नहीं ले पाया था, उसके तुरंत बाद जॉनसन सरकार ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का फैसला किया और चांसलर की जिम्मेदारी इस दौर में देश को आर्थिक संकट से उबारने की आ गई। ऋषि को रोजगार की सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर आर्थिक मदद के पैकेज की घोषणा करनी पड़ी, साथ ही इस कोविड के दौर में मंहगाई को काबू में रखना एक बड़ी चुनौती साबित हुई। इस बीच ऋषि सुनक के एक बयान ने उन्हें यहां के नौजवानों का हीरो बना दिया जब उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को महज बिल का भुगतान करने वाली जनता के तौर पर बड़ा नहीं किया जा सकता उनके लिए और बेहतर सोचना होगा और हमारी सरकार ऐसा ही करेगी।

 

अब सुनक ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि जनता उम्मीद करती है कि सरकार सही ढंग से और गंभीरता से चलाई जाएगी। मेरा यह आखिरी मंत्री पद हो सकता है। लेकिन मेरा मानना ​​है इन मानकों के लिए हमें लड़ाई लड़नी चाहिए। इसलिए मैं इस्तीफा दे रहा हूं। ब्रिटेन की मंहगाई पिछले चासील सालों में सबसे ऊंचे स्तर पर है। ऐसे में टैक्स की मार झेल रही जनता के ऋषि सुनक ऐसा क्या करना चाहते थे जिसकी अनुमति बोरिस जॉनसन की तरफ से नहीं मिल रही थी ये साफ नहीं है लेकिन इतना तय है कि महंगाई से त्रस्त ब्रिटिश जनता की नजर में सुनक विलेन नहीं रहना चाहते हैं लिहाजा उन्होंने सरकार से अलग होना बेहतर समझा। ऋषि के दादा भारत के पंजाब के रहने वाले थे और जब भारत ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था तभी वो पूर्वी अफ्रीका चले गए थे। वहीं उनके पिता का जन्म हुआ और उनकी मां उषा तंजानिया की रहने वाली थीं। 60 के दशक में सुनक के दादा अपने बच्चों के साथ ब्रिटेन चले आए। ऋषि के पिता ब्रिटेन में सरकारी डॉक्टर थे और मां फार्मा की दुकान चलाती थीं। ऋषि ने ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र और राजनीति की पढ़ाई की और फिर MBA करने अमेरिका चले गए और वहीं नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता से मुलाकात हुई थी। ये जानना इसलिए जरूरी है जिससे उनकी सोच और पृष्ठभूमि का अंदाजा लगाया जा सके तभी तो उनके इस्तीफे की एक वजह ये भी माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने यौन उत्पीड़न का आरोप झेल रहे सासंद क्रिस पिंचर को पार्टी का डेप्यूटी चीफ व्हिप बनाया और सरकारी जिम्मेदारी दी जिससे सुनक नाराज चल रहे थे। हालांकि बोरिस जॉनसन ने इसके लिए सार्वजनिक माफी भी मांग ली है।

 

दूसरी तरफ कोविड के पहले और दूसरे दौर में ब्रिटेन में हुई तमाम मौतों के लिए बोरिस जॉनसन की नीतियों को सीधे जिम्मेवार ठहराया गया जिससे बाहर निकलने के लिए और देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने के लिए बोरिस ने जून 2021 में साजिद जाविद को ब्रिटेन का स्वास्थ्य मंत्री बनाया। तब तक दुनिया भर कोविड के वैक्सीनेशन की शुरुआत हो चुकी थी, ब्रिटेन में साजिद ने उसे बेहतर गति दी नतीजा ये रहा कि पूरे ब्रिटेन में अब तक वैक्सीनेशन के दो डोज 90 फीसदी लोगों को और बूस्टर लगभग 70 फीसदी लोगों को दिए जा चुके हैं। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद की काफी तारीफ की गई और जब जाविद ने अपने इस्तीफे में ये कहा कि उनका बोरिस जॉनसन पर अब भरोसा नहीं रहा तो इतना तो साफ हो गया कि सरकार के अंदर कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। अभी एक महीना भी तो नहीं हुआ जब बोरिस जॉनसन खुद की पार्टी का लाया हुआ अविश्वास प्रस्ताव झेल रहे थे तो साजिद जाविद बोरिस के साथ कदम से कदम मिलाकर खडे थे तो अचानक ऐसा क्या हुआ कि उनका प्रधानमंत्री की क्षमता पर भरोसा नहीं रहा।

 

ब्रिटिश संसदीय नियम के अनुसार बोरिस जॉनसन के खिलाफ उनकी पार्टी अगले एक साल तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती है, इस लिहाज से उनकी कुर्सी सुरक्षित दिखती है लेकिन ऐसी ही परिस्थिति में पिछली प्रधानमंत्री थेरेसा मे को अविश्वास प्रस्ताव जीतने के छ महीने के अदंर इस्तीफा देना पड़ा था। शायद बोरिस के लिए ये समय और जल्दी आ गया हो। सुनक, जाविद के साथ बिम अफोलामी ने कंजर्वेटिव पार्टी के उपाध्यक्ष पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया है। इसके अलावा एंड्र्यू मॉरिसन ने ट्रेड राजदूत के पद इस्तीफ़ा दे दिया है। मंत्रालय के सहयोगी जोनाथन गुलिस और साक़िब भाटी ने भी अपना पद छोड़ दिया है। निश्चित तौर पर ऋषि सुनक और साजिद जाविद के इस्तीफे की वजह चाहे जो रही हो लेकिन ये दोनों इस्तीफे ब्रिटेन की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत हैं।

(लेखक इन दिनों इँग्लैंड में रहकर भारत-यूरोप संबंधों पर शोधरत हैं)

प्रभात खबर से साभार

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