रूस-यूक्रेन युद्ध में नेटो की क्या भूमिका होगी ?

यूक्रेन पर रूस का हमला और नाटो की भूमिका के मायने
March 13, 2022
ये आतंकी हमला भर नहीं, युद्ध है और इसमें EU यूक्रेन के साथ है
March 13, 2022

अनुरंजन झा, इंग्लैंड से

आउटलुक से साभार

यूक्रेन पर रूस के हमले के 8 घंटे के बाद नाटो ( नार्थ एटलांटिक ट्रीटी आर्गनाइजेशन) एक्टिव हुआ है। गुरुवार की सुबह जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो सबसे अहम सवाल यही था कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अब ब्रिटेन, दूसरे यूरोपीय देश या नाटो क्या करेगा ?  रूस और यूक्रेन विवाद के पीछे की वजह जो रूस बताता रहा है वो है यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की मंशा और उसकी स्वीकृति। इधर नाटो देश भी चाहते रहे हैं कि यूक्रेन भी उनका सदस्य बने लेकिन अभी ये आधिकारिक तौर पर नहीं हो पाया है। पुतिन ने पिछले दिनों साफ साफ कहा था कि अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य नहीं बनता है तो उनकी कोई मंशा यूक्रेन से युद्ध की नहीं है। लेकिन यूक्रेन ने इसे खारिज कर दिया और देखते देखते रूस ने यूक्रेन पर हमला कर ही दिया। पिछले कई दिनों ने पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हुई थीं । ब्रिटेन ने सबसे पहले रुस को हमला नहीं करने के लिए आगाह किया था और बाद में उसकी मंशा भांपते हुए कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध भी लगा दिए। रूस के पांच बड़े बैंक ब्रिटेन में बंद कर दिए गए और साथ ही कई रशियन अरबतियों को न सिर्फ व्यापार के लिए रोका गया बल्कि उनकी संपत्ति फिलहाल के लिए सीज कर दी गई। ब्रिटेन के साथ साथ अमेरिका ने भी प्रतिबंध की घोषणा की और जर्मनी ने रूस के साथ कुछ करार रोक दिए । लेकिन इन सबकी परवाह किए बिना व्लादिमीर पुतिन ने अपनी साम्राज्यवादी इच्छाओँ को आगे रखा और यूक्रेन पर तीन तरफ से हमला कर दिया।

इस हमले से ठीक पहले यूक्रेन के 44 साल के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने देश में आपातकाल की घोषणा कर मार्शल लॉ लगा दिया था और साथ ही ये भी कहा था कि वो किसी भी कीमत पर रुस के आगे नहीं झुकेंगे। अभी तक सैकड़ों सैनिकों और आम लोगों के मारे जाने की अलग अलग खबरें आ रही हैँ। रूस ने युद्ध की शुरूआत कर दी है अब आगे क्या ? क्या अब भी सिर्फ धमकियों से रुस मानेगा, क्या अमेरिका-ब्रिटेन और दूसरे नाटो सदस्य देश रूस का प्रतिकार करेंगे या सिर्फ बयान और निंदा का दौर चलेगा ? ये सवाल आज सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यूक्रेन अगर आज इस मुसीबत में है तो उसकी वजह यूरोपीय देशों से उसकी नजदीकियां और नाटो में शामिल होने की मंशा और उसकी स्वीकृति । यहां इंग्लैंड में अतंरराष्ट्रीय घटनाओं पर आम जनता जल्दी प्रतिक्रिया नहीं देती है लेकिन जो भी प्रतिक्रिया होती है वो बहुत ठोस और तथ्यों से पूर्ण होती है। यूक्रेन पर हमले के कुछ घंटे के बाद मैं यहां इंग्लैंड में कुछ कागजों की पड़ताल में पब्लिक लाइब्रेरी में था। उस वक्त नाटो के मिलिट्री चीफ का बयान आया था कि

“यूक्रेन हमारे संगठन का सदस्य नहीं है। लिहाजा, हम उसकी सीधी सैन्य मदद नहीं कर सकते। लेकिन, इसके अलावा कई रास्ते हैं और यूक्रेन को इनके जरिए सहायता पहुंचाई जा रही है”। बातों बातों में मैनें इस बयान का जिक्र जब लाइब्रेरी में कैथरीन ( ब्रांच मैनेजर शॉर्पशायर लाइब्रेरी ) से कॉफी के दौरान किया तो उनकी प्रतिक्रिया सधी थी। कैथरीन ने कहा कि उन्हें अपने प्रधानमंत्री पर पूरा भरोसा है और वो सही समय पर सही कदम उठाएँगे और मुझे पूरा विश्वास है कि नाटो इस मामले को इतने हल्के में नहीं लेगा क्यूंकि न सिर्फ ये यूरोप में युद्ध का माहौल बनाएगा बल्कि इससे आमलोग भी महंगाई के चपेट में आएँगे। इसिलए मुझे तो विश्वास है कि जल्द ही रूस के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएँगे। ये उस ब्रिटेन के एक आम नागरिक का बयान है जिस देश को पूरी दुनिया साम्राज्यवाद फैलाने का पुरोधा मानती है।

कुछ ही देर बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि रुस की हरकत किसी भी संप्रभु राष्ट्र की आजादी छीनने की है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रुस के हमले के तुरंत बाद जॉनसन ने पुतिन के कदम को यूरोप को तबाह करने वाला कदम बताया था और बाद में यहां तक कहा कि रुस के इस घृणित और बर्बर हमले को ब्रिटेन यूं हीं नहीं देखेगा। बोरिस जॉनसन ने कहा कि यूक्रेन कोई बहुत पुराना देश नहीं है लेकिन लेकिन पिछले कई “दशकों से स्वतंत्रता और लोकतंत्र का आनंद लिया है और उसे अपनी नियति चुनने का अधिकार है”। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन और दुनिया उस स्वतंत्रता को “बस छीनने” की अनुमति नहीं दे सकते। “हमारा मिशन स्पष्ट है: राजनयिक, राजनीतिक, आर्थिक और अंततः सैन्य रूप से, व्लादिमीर पुतिन के इस घृणित और बर्बर कदम को समाप्त करने का प्रयास होगा। यूक्रेन के लोगों को सीधे संबोधित करते हुए जॉनसन ने कहा: “पीड़ा की इस घड़ी में, हम आपके साथ हैं, हम आपके और आपके परिवारों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं और हम आपके पक्ष में हैं।” साथ ही बोरिस जॉनसन ने कहा कि अगर आने वाले महीने “गंभीर और यूक्रेन की आजादी को नुकसान पहुंचाने वाले भी हुए तब भी उनका दृढ़ विश्वास है कि यह “यूक्रेन में फिर से चमक उठेगी”। मुझे विश्वास है कि रूसी तानाशाह कभी भी यूक्रेनियन की राष्ट्रीय भावना और उनके देश को स्वतंत्र होने के उनके विश्वास को कम कर पाएगा” ।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद नाटो की आपातकाल मीटिंग बुलाई गई और नाटो ने कहा कि रूस हिंसा और युद्ध के रास्ते से पीछे हट जाए वरना रूस को बहुत भारी आर्थिक औऱ राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ेगी। नाटो ने कहा कि हमने रूस को बातचीत के लिए आमंत्रित किया लेकिन रूस ने जंग का रास्ता चुना है, अभी भी वक्त है । हम पूर्वी हिस्से में मिलिट्री और वायुसेना बढ़ा रहे हैं । किसी भी परिस्थिति का जवाब देने के लिए सुरक्षा बलों को तैयार रहने को कहा गया है। साथ ही नाटो ने कहा कि रूस ने यूएन चार्टर, हेलसिंकी एक्ट और पैरिस चार्टर जैसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है। ऐसी परिस्थिति में हम पूरी तरह यूक्रेन के साथ हैँ। तेजी से बदलते घटनाक्रम में 10 डाउनिंग स्ट्रीट से एक और बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया है कि ब्रिटेन रूस पर कुछ और आर्थिक पाबंदी लगाने की तैयारी में है जिसकी घोषणा जल्द ही की जाएगी।

यूक्रेन का एयरस्पेस बंद होने से भारत समेत कई देशों के छात्र और कामगार वहां फंस गए हैँ। बीच बीच में रूस और यूक्रेन दोनों एक-दूसरे देशों के सैनिको के मारे जाने के आंकड़े जारी कर रहे हैँ। रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत लगभग सभी बड़े शहरों में हमले किए हैँ। कीव में यूक्रेन का एक फाइटर जेट क्रैश भी हुआ है।  यूक्रेन के जेलेंस्की ने टीवी पर आकर कहा है कि हम युद्ध में जा चुके हैं और किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे साथ ही ये भी कहा कि जो भी रिपोर्ट हमारी एजेंसियां जारी करें उसे ही सही माना जाए क्यूंकि दुश्मन देश अलग आंकड़े बताकर हमें डराना चाहेंगे। रूस के हमले से पहले भी जेलेंस्की ने एक वीडियो जारी किया था और रुस की आम जनता से अपील की थी कि देर होने से पहले लड़ाई को रोकने में अपनी भूमिका निभाएँ। कुल मिलाकर रूस और यूक्रेन के बीच शुरु हुआ युद्ध भले ही किसी विश्वयुद्ध की आहट न हो लेकिन अतंरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े उलट-फेर की आशंका से तो कतई इंकार नहीं किया जा सकता है और आने वाले दिनों में निश्चित तौर पर यूरोपीय देशों के साथ नाटो की गतिविधियों पर इसका भविष्य टिका होगा।

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