ये आतंकी हमला भर नहीं, युद्ध है और इसमें EU यूक्रेन के साथ है

रूस-यूक्रेन युद्ध में नेटो की क्या भूमिका होगी ?
March 13, 2022
क्या ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के आर्थिक प्रतिबंध और निंदा प्रस्ताव से डरेगा रूस ?
March 13, 2022

अनुरंजन झा, इंग्लैंड से

जनसत्ता से साभार

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे जंग को एक हफ्ते हो गए हैँ। रूस को शायद पहले ये उम्मीद रही होगी कि यूक्रेन को वो 24 से 48 घंटे में निपटा लेगा, क्यूंकि उसे ये तो यकीन था ही कि नेटो देश अपनी सैन्य शक्तियों के साथ यूक्रेन की तरफ हाथ नहीं बढ़ाएंगे क्यूंकि वो कदम तीसरे विश्वयुद्ध की ओर ही जाता। अभी तक हुआ भी वैसा ही, ब्रिटेन और दूसरे यूरोपीय देशों ने आर्थिक प्रतिबंध के आगे रक्षात्मक सैन्य सहायता तक अपने को सीमित रखा है। दिख तो ऐसा ही रहा है लेकिन अंदर ही अंदर पुतिन पर और नकेल कसने की कोशिश में ब्रिटेन दूसरे यूरोपीय देशों को लामबंद जरूर कर रहा है। एक तरफ ब्रिटेन ने तमाम तरह के आर्थिक प्रतिबंध तो रूस और पुतिन पर लगा ही दिए हैं साथ ही ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पोलैंड और इस्टोनिया की यात्रा भी कर डाली। पोलैंड में अपनी बात रखते हुए बोरिस जॉनसन ने साफ साफ व्लादिमीर पुतिन पर “बर्बर और अंधाधुंध” बमबारी के साथ मासूम यूक्रेनी बच्चों को मारने का आरोप लगाया। उऩ्होंने कहा कि क्रेमलिन तानाशाह अपने घातक रॉकेट से यूक्रेन के शहरों पर हवाई हमले करके निर्दोष नागरिकों को मार रहा है। “मैं अंतरराष्ट्रीय मामलों में ऐसे वक्त की कल्पना भी  नहीं कर सकता था, ये ऐसा वक्त आया है कि जहां सही और गलत, अच्छे और बुरे के बीच का अंतर स्पष्ट हो गया है” साथ ही जॉनसन ने कहा कि ये “त्रासदी” और भयावह हो सकती है क्यूंकि बर्बर पुतिन और भी आगे बढ़ेंगे। पुतिन ने जब से अपने न्यूक्लियर सिस्टम को अलर्ट पर रहने का आदेश दिया है तभी से पूरी दुनिया उन्हें संदेहभरी नजरों से देख रही हैँ। जाहिर है युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता और जब आप किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र पर सिर्फ इसलिए हमला कर दें कि आपको ये आशंका हो जाए कि भविष्य में वो दुश्मनों से मिल सकता है तो इसे सिरफिरापन नहीं तो और क्या कहेंगे । निश्चित तौर पर रूस और यूक्रेन का युद्ध एक ऐसे मुहाने पर खड़ा है जहां से इसकी परिणति कुछ भी हो सकती है।

रूस और पुतिन का विरोध अब सिर्फ राजनीतिक और कूटनीतिक नहीं रह गया है पूरे ब्रिटेन समेत यूरोप में हमले के खिलाफ आवाज उठ रही है। पुतिन का विरोध और यूक्रेन का समर्थन अब पूरे यूरोप में सड़कों पर आ गया है। यहां ब्रिटेन में बड़े शहरों के साथ साथ छोटी छोटी जगहों पर लोगों ने पुतिन के खिलाफ में आवाज उठानी शुरु कर दी है। लंदन के ट्रैफलगर स्क्वायर पर जमा भीड़ ये बताने के लिए काफी थी न सिर्फ ब्रिटेन की सरकार बल्कि यहां के लोग भी यूक्रेन के साथ हैँ लेकिन उनको रूस या रूस की जनता से कोई विरोध नहीं है बल्कि सीधे तौर पर वो पुतिन की साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैँ। हजारों लोग वहां घंटों तक प्रदर्शन करते रहे जिसमें सैकड़ों रूसी नागरिक भी थे जो सीधे तौर पर इस युद्ध के लिए रूस की सत्ता को ही जिम्मेदार मान रहे थे और उनके हाथों की तख्तियां कह रही थीं कि वो युद्ध नहीं चाहते, वो यूक्रेन के पक्ष में इसलिए खड़े हैं क्यूंकि वो चाहते हैं कि किसी भी इंसान की व्यक्तिगत आजादी को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए। पूरा ट्रैफलगर स्क्वायर नीले-पीले झंडों से यानी यूक्रेन के राष्ट्रीय झंडे से अटा पड़ा था। प्रदर्शनकारियों की बातों से व्लादिमीर पुतिन के प्रति क्षोभ दिख रहा था तो साथ ही इस युद्ध की पीड़ा और निराशा उनके चेहरों पर साफ झलक रही थी। श्रुसबरी में डिपार्टमेंटल स्टोर अल्डी के एक कर्मचारी फिलिप से जब मैं बात कर रहा था और मैंने कहा कि ये एक तरह का आतंकी हमला है तो उनका तपाक से जवाब था कि ये सिर्फ आतंकी हमला नहीं है अब ये युद्ध है और हम सभी यूरोपियन यूक्रेन के साथ हैँ। हमेशा शांत दिखने वाले उस शख्स की आंखों में भी गुस्सा साफ नजर आ रहा था। यूक्रेन के समर्थन में शनिवार से ही ब्रिटेन के अलग अलग हिस्सों में प्रदर्शन शुरु हो गए थे जो लगातार जारी हैँ। एडिनबर्ग, ग्लासगो, नॉटिंघम, कैम्ब्रिज, ऑक्सफोर्ड, श्रुसबरी और  नॉर्विच में कहीं सैकड़ों तो कहीं हजारों की तादात में लोग यूक्रेन के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैँ। यहां के लोगों को मालूम है कि युद्ध लंबा खिंचा तो मुश्किलें ब्रिटेन के लोगों भी होंगी, महंगाई बढ़ेगी। पहले से ब्रेग्जिट की मार झेल रहे ब्रिटेन और महंगाई का बोझ उठाने में ज्यादा तकलीफ में आएगा लेकिन उनको यूक्रेन के आम लोगों की भी चिंता है क्यूंकि उनकी जिंदगी खतरे में है। पुतिन के खिलाफ लिखे नारे की तख्ती संभालते हुए रिचर्ड ने कहा कि ब्रिटेन जिस तरह के आर्थिक प्रतिबंध रूस पर लगा रहा है उसके नतीजे का अंदाजा हमें है, सबसे पहले हमें फ्यूल के लिए भारी कीमत चुकानी होगी। रिचर्ड की बात सही थी क्यूंकि अगले ही दिन ब्रिटेन में पेट्रोल की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला जो अब तक की सबसे ऊंची कीमत पर जा पहुंचा है।  श्रॉपशायर के सीनियर पत्रकार पीटर रोड्स ने कहा कि ब्रिटेन ही पूरे यूरोप में इस युद्ध से पहले जेलेंस्की को जानने वाले बहुत कम लोग थे और जो जानते वो भी उनको बहुत गंभीरता से नहीं लेते थे। लेकिन जिस तरीके से वो अपने लोगों की आजादी बचाने के लिए रूस के खिलाफ खड़े हुए हैं उन्हें अब पूरी दुनिया जानने लगी है, हम उनके साथ हैं और इतिहास ऐसे ही लिखा जाता है। ब्रिटेन के अलावा जर्मनी, नीदरलैंड, पोलैंड और इस्टोनिया जैसे देशों में भी जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैँ। जाहिर है यूरोप की न सिर्फ सरकारें बल्कि लेकिन यहां के आम लोग भी यूक्रेन के साथ हैं और जब यहां के लोगों से जब बात कीजिए तो साफ दिखता है कि मानवाधिकार उनके लिए सबसे पहली पायदान पर है लिहाजा युद्ध का विरोध हर कोई कर रहा है।

(लेखक इन दिनों अपनी अगली पुस्तक के शोध के लिए इंग्लैंड में रह रहे हैं)

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