Ramleela Maidan: A Series of False Gods

Speech: Emerging Trends in 21st Century Media
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अरविन्द केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी किसी नई विचारधारा, बड़ी राजनैतिक-सामाजिक लड़ाई या लंबे राजनैतिक प्रशिक्षण से निकलने वाले नेता और राजनैतिक दल नहीं हैं। इसकी जगह ये एक राजनैतिक परिघटना की तरह हैं जिसमें तब की स्थितियाँ, अन्य राजनीतिक खिलाडिय़ों/नेताओं के फैसलों और कामों तथा खुद अरविन्द केजरीवाल और उनके साथियों के फैसलों ने मिल-जुलकर आगे बढ़ाया। इस राजनैतिक परिघटना ने मुल्क की राजनीति और शासन में क्या उम्मीद जगाई, कहाँ तक पहुँची और कितनी निराशा पैदा की यह गम्भीर अध्ययन और चिंतन का विषय है। और इसकी अच्छी बात यह है कि इसमें बाहर छपी सामग्री की मदद लेने या बेमतलब संदर्भों का पहाड़ खड़ा करने की जगह उन्हीं बातों को मजबूती से और एकदम चित्रवत रूप में रखा गया है जिसे लेखक ने खुद से देखा और जाना है। हैरानी नहीं कि इसी चलते किताब ऐसी बन गई है जिसके सामने आते ही कुछ नए विवाद और खंडन-मंडन का खेल भी शुरू हो सकता है। पर यह कहना उससे भी आसान है कि हाल की राजनीति की इस बड़ी परिघटना पर अभी इस तरह की कोई किताब नहीं आई है।

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